चित्त प्रवाह!?

लोग तो कहेंगे,
लोगों का काम है कहना,
जिंदगी तो है अपनी,
स्वयं ही अपनी हालात है समझनी,
स्वयं ही उसके हद स्वयं ही गुजरनी,
अपनी पीड़ा स्वयं ही झेलनी, 
स्वयं ही अपनी हद परखनी,
स्वयं ही निरन्तर अभ्यास से सामर्थ्य है बढ़ानी।
लोग तो सिर्फ बदलने की भावना लिए,
बुरे दिन कौन तुम्हे साथ लिए खड़ा?
चार दिन की चांदनी,
अकेले ही यह जिंदगी यात्रा पे निकलनी,
किस किस के मन की कर पानी?
अपने सामर्थ्य की कहानी-
स्वयं ही लिख ओ जानी,
स्वयं ही स्वयं आत्म प्रकाश फैलानी,
जीव से ब्रह्म तक का सफर-
स्वयं ही हार्टफुलनेस दीवानगी।
#अशोकबिन्दु

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बेहतरीन शब्द संयोजन

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